Aparna Sharma

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लेखनी प्रतियोगिता -06-Jun-2023

दैनिक प्रतियोगिता स्वैच्छिक 


गीत ( शंकर की बारात ) 

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चलिबै शभूं की बरतिया रामा कैसे गुजरी 
हिमालय नगरी हो रामा कैसे गुजरी।

चलिबै भोले नाथ की बरतिया रामा हिमालय नगरी ।

एक हाथ में डमरु लिये एक‌ हाथ में  त्रिशूल।
गले में पहने मुंण्डों की माला
 और‌ सर्प गले में रहे झूल 
 रामा कैसे गुजरी-हो रामा कैसे गुजरी।

चलिबै शिवशंकर की बरतिया रामा
हिमालय नगरी हो कैइसै गुजरी।

नंदी की सवारी पहने मृगछाला
 गौरा बनी दुल्हनिया 
शिवशभूं डमरु वाले हो भोले-भाले 
आए मलै भभुतिया 

भूत प्रेत सब बन बाराती
चले शिवशंकर के बरतिया
डम-डम बजाए डमरु शंकर 
के ब्याह में नाचै सब बारतिया।

चलबै हमहूं उनकी बरतिया
रामा कैसे गुजरी !
सबै शंभूनाथ के बरतिया
रामा कैसे गुजरी कैइसै सपरी रामा
कैइसै गुजरी।

चलिबै शंभू की बरतिया
जबै भोलेनाथ की बरतिया
रामा कैसे गुजरी-रामा कैसे गुजरी।।🙏🕉️

स्वरचित मौलिक
अपर्णा गौरी शर्मा 

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2 Comments

Mukesh Duhan

06-Jun-2023 11:04 PM

बहुत खूब

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